शेर–सा दहाड़ तू

01-01-2025

शेर–सा दहाड़ तू

अनिल मिश्रा ’प्रहरी’ (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बल असीम पास रख
लहू, उत्तप्त साँस रख, 
प्रचंड तेज, ताप से झुका खड़ा पहाड़ तू
शेर–सा दहाड़ तू। 
 
हो लौह-पाश तोड़ दे
तू उग्र धार मोड़ दे, 
अखण्ड ज्योति के लिए तिमिर-चरण उखाड़ तू
शेर–सा दहाड़ तू। 
 
चुनौतियाँ हैं कम नहीं
पर आँधियों में दम नहीं, 
अनर्थ बात सोचकर गला न वीर हाड़ तू
शेर–सा दहाड़ तू।

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