सबक़
सुनील चौधरीथके, हारे लोगों की भीड़
जब पर्वत चढ़कर
एक जगह मिल जाती है
तो
अपने पर्वत
चढ़ने की गाथाओं से
सबक़ लेती है
और
सबक़ देती है
मैं
उस पहाड़ की चोटी से
ज़िंदगी को भी
ऐसे ही
देखने का आदी हूँ।
थके, हारे लोगों की भीड़
जब पर्वत चढ़कर
एक जगह मिल जाती है
तो
अपने पर्वत
चढ़ने की गाथाओं से
सबक़ लेती है
और
सबक़ देती है
मैं
उस पहाड़ की चोटी से
ज़िंदगी को भी
ऐसे ही
देखने का आदी हूँ।