साथी कब तुम घर आओगे . . .
योगेन्द्र पांडेय
बूढ़ा बरगद राह निहारे
कहाँ गए हो प्रियतम प्यारे
मेरी आँखों की नींदों को, फिर कब वापस लौटाओगे
साथी कब तुम घर आओगे!! 1!!
तुझ बिन जीवन नीरस लागे
मृग मरीचिका सा मन भागे
तन मन झंकृत कर दे ऐसा, गीत मिलन का कब गाओगे
साथी कब तुम घर आओगे!! 2!!
गाँव गली यह अपना प्यारा
पूछ रहे सब पता तुम्हारा
युगों युगों से तड़प रहे कब, हृदय सिंधु को समझाओगे
साथी कब तुम घर आओगे!! 3!!