कोयल क्यों कूक रही हो

15-08-2023

कोयल क्यों कूक रही हो

योगेन्द्र पांडेय (अंक: 235, अगस्त द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

कोयल क्यों कूक रही हो
बोलो क्या दुःख है, 
क्यों हूक रही हो?
 
किसने तेरा बाग़ उजाड़ा
किसने है उपहास उड़ाया
क्यों डाली पर बैठ अकेले
अपने दुःख में डूब रही हो
कोयल क्यों कूक रही हो
बोलो क्या दुःख है, 
क्यों हूक रही हो?
 
किसने तुमको है चिढ़ाया
किसने नक़ल तुम्हारा गाया
कौन है जिसके लिए निरंतर
पीड़ा के सुर खींच रही हो, 
कोयल क्यों कूक रही हो
बोलो क्या दुःख है, 
क्यों हूक रही हो?
 
तेरे गीतों में कम्पन है
स्वर में थोड़ा स्पन्दन है
क्या आफ़त में ऋतु वसंत है? 
या फिर धरती पे संकट है
बोलो अब क्यों चुप बैठी हो, 
कोयल क्यों कूक रही हो
बोलो क्या दुःख है, 
क्यों हूक रही हो?

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