पुल हुआ गुल
संजय एम. तराणेकर
आजकल गिरने के लिए बनते हैं पुल।
ईंट, सीमेंट और रेती जब होती है गुल।
‘हाटकेश्वर पुल’ ने भी लिया होगा संकल्प।
आम आदमी को दूँगा एक नया विकल्प।
जब हुए इस पर बयालिस करोड़ ख़र्च।
सोचा ना था यह सब हो जाएगा व्यर्थ।
सौ साल चलने का था इसका जीवनकाल।
पाँच साल में ही हो गया इसका बुरा हाल।
पुल बनकर भी ना हुआ इसका उपयोग।
जनता के दुःख कम होने का न था योग।
भ्रष्टाचार के भोग का सफल हुआ प्रयोग।
52 करोड़ में टूटेगा देखते रह जाएँगे लोग।