पानी कम है

हरजीत सिंह ’तुकतुक’ (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

पानी कम है। 
चलो फूलों से खेलें। 
होली मिल के। 
 
पानी कम है। 
चाय में उनकी भी। 
नेता जी हैं न। 
 
पानी कम है। 
कुओं, नदी, तालों में। 
पेड़ काटे होंगे। 
 
पानी कम है। 
पर दिल बड़ा है। 
तुम भी पियो। 
 
पानी कम है। 
बाढ़ नहीं है यह। 
फ़र्ज़ी न्यूज़ है। 
 
पानी कम है। 
रात अभी बाक़ी है। 
नीट पीते हैं। 
 
पानी कम है। 
आग नहीं बुझेगी। 
लगाई क्यों थी? 

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