ख़ून नहीं था 

01-02-2022

ख़ून नहीं था 

हरजीत सिंह ’तुकतुक’ (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

ख़ून नहीं था। 
बेच दिया था सारा। 
भूख लगी थी। 
 
ख़ून नहीं था। 
पानी जैसा कुछ था। 
खौलता न था। 
 
ख़ून नहीं था। 
अपना वह तभी। 
काम आया। 
 
ख़ून नहीं था। 
किसी जगह पर। 
सौ मरे तो थे। 
 
ख़ून नहीं था। 
खटमल हैरान थे। 
नेताओं में भी। 
 
ख़ून नहीं था। 
उतरा किसी आँख। 
ग़ैर थी न वो। 
 
ख़ून नहीं था। 
इबादत थी मेरी। 
बकरीद थी। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें