ख़ून नहीं था
हरजीत सिंह ’तुकतुक’ख़ून नहीं था।
बेच दिया था सारा।
भूख लगी थी।
ख़ून नहीं था।
पानी जैसा कुछ था।
खौलता न था।
ख़ून नहीं था।
अपना वह तभी।
काम आया।
ख़ून नहीं था।
किसी जगह पर।
सौ मरे तो थे।
ख़ून नहीं था।
खटमल हैरान थे।
नेताओं में भी।
ख़ून नहीं था।
उतरा किसी आँख।
ग़ैर थी न वो।
ख़ून नहीं था।
इबादत थी मेरी।
बकरीद थी।