मेरी फ़िक्र में वो
पवन त्रिपाठी
उम्र भर जो फ़िक्र में रहा
वो शख़्स मुझसे ज़्यादा बेक़रार रहा!
जब था वो बुलन्दियों पर
तब वो ख़ुदा से जोड़ा गया
पर ज़मीं पर जब वो आया
तो वह मिट्टी में मिलता गया
था मैं बदनसीब
जो उसे ख़ुदा समझता रहा
पर वो अपने बदलते सफ़र में
एतबार के क़ाबिल न रहा
उम्र भर जो फ़िक्र में रहा
वो शख़्स मुझसे ज़्यादा बेक़रार रहा!