लक्ष्य
डॉ. नवीन दवे मनावतरास्ते मुड़ना चाहते हैं
उस गली की तरफ़
जहाँ पर उनका
आशियाना है
पर रोक देता है
वह लक्ष्य
जिससे वह
बिताना चाहते हैं अपना
नि:शेष जीवन
वह लक्ष्य
तम से भरा
उदासियों से घिरा
और बोझिल तो है
परंतु
अन्य कोई पद चिन्ह नहीं
जहाँ छोड़ सके
अपने अतीत के क़दमों को
पर जहाँ तम है
उसके पार्श्व ही
एक रोशनी है
एक शक्ति पुंज है
एक अदम्य साहस है
जो वह चाह रखता है
जीवन
तम-उजालों
उदासियों
से भरा है
पर
शिव है
सुंदर है
एक अलौकिक शक्ति है
2 टिप्पणियाँ
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A1
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Nice sir