कब तक रहेगा ये अँधेरा

01-10-2024

कब तक रहेगा ये अँधेरा

प्रेम ठक्कर ‘दिकुप्रेमी’ (अंक: 262, अक्टूबर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

कब तक रहेगा ये अँधेरा, 
कभी तो सवेरा आएगा, 
तेरी राह में बिखरे हैं ये तारे, 
कभी तो चाँद मुस्काएगा। 
 
ख़ामोशी की इस रात में, 
तेरा नाम ही हर साज़ है, 
दिल कह रहा है ये मुझसे, 
कभी तो तेरा पैग़ाम आएगा। 
 
आतुर हैं आँखें तेरी राह में, 
तेरी तस्वीर की परछाईं में, 
कभी तो ख़त्म होगा ये इंतज़ार, 
कभी तो मिलन का पल आएगा। 
 
कब तक रहेगा ये अँधेरा, 
कभी तो सवेरा आएगा, 
तुझसे लिपटकर बेतहाशा रोने का सपना, 
कभी तो सच हो जाएगा। 

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