आ जाना दिकु

01-08-2023

आ जाना दिकु

प्रेम ठक्कर (अंक: 234, अगस्त प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

सुनो दिकु . . .
 
कभी तुम्हें ग़म सताये 
तो आ जाना
कभी मेरी यादें चिल्लाए
तो आ जाना
 
कभी दिख जाए परछाईं में चेहरा मेरा
कभी याद आये तुम्हारे लिए वो रात का पहरा मेरा
 
कभी आँखों में नींद ना आये 
तो आ जाना
कभी दर्द आँखों से मुस्कुराए
तो आ जाना
 
जानते हैं बहुत ही साहसी हो तुम
अपने चेहरे की उदासी बख़ूबी छुपाती हो तुम
 
कभी यह मुस्कुराहट साथ छोड़ जाए
तो आ जाना
 
प्रेम आज भी वहीं खड़ा है तुम्हारे इंतज़ार में
कभी तुम्हारा सब्र अपनी सीमा तोड़ जाए 
तो आ जाना
 
(प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए)

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