अब भी मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ

15-10-2024

अब भी मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ

प्रेम ठक्कर ‘दिकुप्रेमी’ (अंक: 263, अक्टूबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

आज पुरानी धुन में तेरी आवाज़ सुनी, 
जैसे किसी ख़्वाब की छाँव हो, 
जो पल तेरे संग बिताए, 
अब भी दिल के क़रीब हैं, 
तुझसे बिछड़ गया हूँ, 
फिर भी मिलने की उम्मीदें अजीज़ हैं। 
तेरे बिना अब ख़ुशियों की ओर 
बढ़ने से डरता हूँ, 
निश्चित कुछ नहीं, 
फिर भी मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ। 
 
तेरी यादें दिल के ज़ख्मों पर 
मरहम का काम करती हैं, 
तेरे बिना हर रोज़ ये 
विरह की अग्नि में जलती हैं। 
जो सपने हमने संग देखे थे, 
अब अकेला ही वो सपने बुनता हूँ, 
तेरे बिना हर सपना टूटा है, 
फिर भी मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ। 
 
होश आया तो जाना, 
तू कहीं दूर निकल गई है, 
अब तेरी यादों से ही 
मेरी पूरी ज़िंदगी बँध गई है। 
मन अब जैसे सूना, 
ख़ाली सा हो गया है, 
फिर भी तेरे एहसासों से 
इसे हर दिन भरता हूँ, 
पूरी तरह बिखरा हूँ, 
फिर भी मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ। 
 
तेरे बिना हर दिन 
अधूरा सा गुज़रता है, 
फिर भी ये दिल तुझसे ही 
हर पल प्यार करता है। 
शायद एक दिन तू लौटेगी, 
ये उम्मीद दिल में सँजोए रखता हूँ, 
तेरे बिना ये दिल टूटा है, 
फिर भी मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें