अच्छे
समय के लिए
सपनों को,
कल पर
टालते रहे,
मन
बहलाने को
रोज,
नये नये
बहाने बनाते रहे,
भाग्य को कोसते रहे।
बिना
पैरों के
लोग,
देखते-देखते
आसमान में
छा गए।
और
हम
अच्छे कल का
इंतज़ार करते रह गये।
जो
बार-बार
आया,
और
आया ही नहीं।
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जीवंत कविता
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