भारत का लोकतंत्र

01-01-2024

भारत का लोकतंत्र

गौरीशंकर वैश्य ‘विनम्र’ (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

जग में अति सुदृढ़ विशालतम 
भारत का शुभ लोकतंत्र है। 
वसुधा ही कुटुंब अपना है 
मानवता का आदिमंत्र है। 
 
शोषित-वंचित का प्रतिपालक
निर्बल-निर्धन का दुखघालक
जनगणनायक, भाग्यविधाता 
समता, समानता का नाता 
 
जन द्वारा, जन के निमित्त ही 
जन के कर में सिद्ध यंत्र है। 
 
देश सशक्त, समृद्ध, सुखी हो 
वैज्ञानिकता चतुर्मुखी हो 
वंदेमातरम गूँजे घर-घर 
ध्वज तिरंग फहराए फर-फर
 
बाह्य और आंतरिक सुरक्षा 
शिथिल न होगी, मूलमंत्र है। 
 
चुनौतियों पर कौशल भारी 
ध्येय सदा है मंगलकारी 
धूर्त अतिवादी भय खाते 
भारत माँ की महिमा गाते 
 
मौलिक अधिकारों की क्षमता 
कर्त्तव्यों के हित स्वतंत्र है। 
 
भ्रष्टाचार समूल मिटाएँ
कट्टरपन के दाग़ हटाएँ
पूर्ण स्वराज्य, सु-राज बनाएँ 
नवयुग अमृत-पर्व मनाएँ 
 
रामराज्य का स्वप्न सँजोए 
साथी ‘गण’ का बना ‘तंत्र’ है। 
भारत का शुभ लोकतंत्र है। 

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