बहुत छोटी कहानी है

15-08-2025

बहुत छोटी कहानी है

डॉ. विकास सोलंकी (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

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बहुत छोटी कहानी है
मगर यह तरजुमानी है
 
कथानक पढ़ लिया हमने
कथा यह भी पुरानी है
 
ज़रा सा देख लो आकर
नई यह ज़िन्दगानी है
 
हृदय में बह रही कोशी
नयन गंगा का पानी है
 
नहीं मैं तोड़ सकता हूँ
ये रिश्ता ख़ानदानी है
 
धरा पर पाँव है मेरा
नज़र यह आसमानी है
 
पढ़ी है मैंने रामायण 
सही तब बात छानी है
 
दिया है ज्ञान मण्डन ने
समझ मेरी पुरानी है
 
यहाँ जो व्यास को समझा
वही तो ब्रह्मज्ञानी है
 
जहाँ रहते हो सोलंकी
वही क्या अगुआनी है

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