आख़िरी प्रणाम

15-08-2022

आख़िरी प्रणाम

सुरेश बाबू मिश्रा (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

रमनदीप उस झाड़ी की तलाश कर रहा था जहाँ उसने बैग में अपना लैपटॉप छुपा कर रखा था। रमनदीप को अच्छी तरह याद है कि उसने उस झाड़ी के पास बी का चिह्न बनाया था। बी का मतलब भारत। वह उस चिह्न को ढूँढ़ रहा था। 

काफ़ी देर तक तलाश करने के बाद आख़िर उसे वह झाड़ी मिल ही गई। झाड़ी में छिपाए गए बैग में अपने लैपटॉप को सुरक्षित देखकर उसके चेहरे पर एक अनोखी चमक आ गई थी। उत्सुकतावश उसने लैपटॉप ऑन करके देखा। उसके द्वारा इकट्ठी की गई सारी गोपनीय सूचनाएँ एवं डाटा पूरी तरह से सुरक्षित थे। यह देखकर उसकी सारी थकान उड़न छू हो गई थी और उसका पूरा शरीर एक अनोखे रोमांच से भर गया था। उसने अपना लैपटॉप जिस बैग में रखा था उसे उठाकर पीठ टाँग लिया। 

रमनदीप कुछ देर सुस्ताने के लिए वहीं ज़मीन पर बैठ गया। बीते दिनों की घटनाएँ चलचित्र की भाँति उसकी आँखों के सामने घूमने लगीं। 

रमनदीप सिंह भारतीय सेना की इंटेलीजेंस कोर का जाँबाज़ जासूस था। उसे एक गोपनीय मिशन पर पाकिस्तान भेजा गया था। वह कई दिनों से भेष बदलकर पाकिस्तान में रह रहा था और बड़े गोपनीय तरीक़े से अपने मिशन पर काम कर रहा था। उसे पाकिस्तान आए दो सप्ताह से अधिक हो गए थे। उसे पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी शिविर के बारे में सूचनाएँ एकत्र करने के लिए भेजा गया था। 

वह अपने मिशन में काफ़ी हद तक क़ामयाब रहा। आतंकवादी कैम्पों की काफ़ी सूचनाएँ एकत्र कर उसने अपने लैपटॉप में अपलोड कर ली थीं। वह एक सूफ़ी फ़क़ीर की वेशभूषा में घूमा करता था, इसलिए किसी को उस पर कोई सन्देह नहीं हुआ था। परन्तु कल एक आतंकवादी शिविर का फोटो लेते हुए पाकिस्तानी पुलिस के एक जवान ने उसे देख लिया। उसे रमनदीप पर शक हो गया। तब से पाकिस्तानी पुलिस उसका पीछा कर रही थी। 

किसी तरह से वह पुलिस के जवानों को चकमा देकर पी। ओ। के। के इस पहाड़ी इलाक़े में आकर छुप गया था। यह तो अच्छा हुआ कि उसने कुछ दिन पहले अपना लैपटॉप वाला बैग यहीं पहाड़ी पर एक झाड़ी में छुपाकर रख दिया था जो आज उसे सही सलामत मिल गया। पाकिस्तानी पुलिस अब भी उसे ढूँढ़ रही थी, इसलिए ख़तरा अभी टला नहीं था। 

रमनदीप पंजाब प्रान्त के होशियारपुर ज़िले के एक गाँव का रहने वाला था। उसके पिता सेना के रिटायर्ड कर्नल थे। उन्होंने 1965 और 1971 के युद्ध में भाग लिया था और असाधारण शौर्य का प्रदर्शन किया था। रमनदीप ने देशभक्ति का ककहरा उन्हीं से सीखा था। उसकी माँ रमनदीप से बेहद प्रेम करती थी क्योंकि वह उनका इकलौता बेटा था। उसके पिता के पास काफ़ी खेती भी थी और उनके परिवार की गिनती सम्पन्न परिवारों में होती थी। 

रमनदीप के तीन बहिनें थीं दो बड़ी और एक उससे छोटी। रमनदीप को ध्यान आया कि आज से लगभग एक महीने बाद उसकी छोटी बहिन रजवन्त कौर की शादी है। शादी में घर जाने के लिए उसने छुट्टी की एप्लीकेशन अपने ऑफ़िसर को इस मिशन पर आने से काफ़ी पहले ही दे दी थी। 

तीन साल पहले रमनदीप की शादी हो चुकी थी। उसकी पत्नी सुरजीत कौर बेहद सुन्दर और शालीन थी। अपनी शादी के बाद इन तीन सालों में वह कुल मिलाकर बमुश्किल एक महीने ही घर पर अपनी पत्नी के साथ बिता पाया था, मगर सुरजीत कौर ने कभी कोई शिकायत नहीं की। उसने घर के कामकाज को बहुत अच्छी तरह से सँभाल रखा था और वह सबका बहुत ख़्याल रखती। 

रमनदीप सोचने लगा कि सेना के जासूस का काम कितना कठिन और चुनौतीपूर्ण है। उसे हर समय प्राण हथेली पर रखकर काम करना पड़ता है। दुश्मन की कब उस पर नज़र पड़ जाए कुछ पता नहीं। उसका हर मिशन ख़तरों से भरा होता है। विडम्बना तो देखो उसके घर वालों या देश के लोगों को उसके जोखिमपूर्ण कार्यों की कोई जानकारी नहीं हो पाती है। मिशन अत्यन्त गोपनीय होने के कारण उसके कामों और उपलब्धियों के बारे में मीडिया में भी न तो कुछ छपता है और न चैनलों पर कुछ दिखाया जाता है। एक जासूस तो यही सोचकर हर समय ख़ुश रहता है कि उसका पूरा जीवन भारत माता की सेवा में समर्पित है। रमनदीप ने सोचा कि इस मिशन को पूरा करने के बाद वह अपनी छोटी बहिन की शादी में गाँव जाएगा और कम से कम एक माह गाँव में ही अपनी पत्नी और परिवार के साथ बिताएगा। 

वह इन्हीं ख़्यालों में खोया हुआ था कि उसे एक फर्लांग दूर की झाड़ियों में कुछ हलचल सी दिखाई दी। वह चौकन्ना हो गया। उसने अपने मोबाइल में उस स्थान की लोकेशन देखी। भारतीय सीमा यहाँ से केवल बीस किलोमीटर दूर रह गई थी। उसने सूफ़ी फ़क़ीर की वेशभूषा उतार दी और बैग में से निकालकर इण्डियन मिलिट्री इंटेलीजेन्स कोर की ड्रेस पहन ली। उसने अपने बैग को ठीक तरह से पीठ पर टाँगा और वहाँ से निकलने के बारे में सोचने लगा। जिधर झाड़ियों में हलचल दिखाई दी थी उसके विपरीत दिशा में वह कोहनियों के बल रेंगता हुआ आगे बढ़ने लगा। उसने ऐसा करने में बहुत कठिनाई हो रही थी मगर वह खड़े होने का ख़तरा मोल लेना नहीं चाहता था उसके लिए वह लैपटॉप और उसमें एकत्र डाटा सुरक्षित अपने हेड क्वार्टर पहुँचाना था। वह क़रीब एक घन्टे तक इसी प्रकार रेंगता रहा। अब वह उस स्थान से लगभग एक किलोमीटर दूर निकल आया था। उसकी साँस फूल रही थी इसलिए वह कुछ देर तक वहीं बैठा रहा फिर उसने खड़े होकर चारों तरफ़ देखा। चारों तरफ़ दूर-दूर तक सन्नाटा था। वह धीरे-धीरे भारतीय सीमा की ओर बढ़ने लगा। वह पूरी तरह से सतर्क था और सावधानी पूर्वक आगे की ओर बढ़ रहा था। 

अभी वह तीन-चार किलोमीटर ही दूर पहुँचा होगा कि उसे तीन-चार पाकिस्तानी सैनिक टहलते हुए दिखाई दिए। शायद वहाँ कहीं आस-पास पाकिस्तानी चेक पोस्ट रही होगी। किसी तरह से उन सैनिकों की नज़र से छुपता-छिपाता रमनदीप वहाँ से निकलने में सफल रहा। अब वह तेज़ क़दमों से चलने लगा था। वह किसी तरह पाकिस्तानी सीमा को पार कर भारत की सीमा में प्रवेश कर जाना चाहता था। उसका मिशन पूरा हो चुका था और अब उसे अपने हेड क्वार्टर पहुँचकर यह लैपटॉप अधिकारियों को सौंपना था। 

शाम का धुँधलका छाने लगा था। रमनदीप ने मोबाइल में एक बार फिर लोकेशन देखी। भारतीय सीमा अब केवल चार-पाँच किमी दूर रह गयी थी। रमनदीप तेज़ी से भारतीय सीमा की ओर बढ़ने लगा, तभी उसे चार-पाँच पाकिस्तानी सैनिक बिल्कुल सामने से आते दिखाई दिये। उनकी नज़र शायद रमनदीप पर पड़ चुकी थी वे सीधे उसी की ओर आ रहे थे। अब बचने का कोई रास्ता नहीं था। रमनदीप ने कुछ क्षण सोचा फिर उसने बैग से एक छोटा हैण्ड ग्रेनेड निकाल कर उन सैनिकों को टारगेट बनाकर उनकी ओर फेंका। बहुत तेज़ धमाका हुआ और क्षण भर में ही पाकिस्तानी सैनिक ज़मीन पर गिरकर छटपटाने लगे। 

रमनदीप पूरी ताक़त से भारतीय सेना की ओर भागा। वह काफ़ी दूर तक दौड़ता चला गया। अब उसे भारतीय सीमा साफ़ दिखाई देने लगी इसलिए उसका मन उत्साह से भर गया तभी अचानक पाकिस्तानी सीमावर्ती पोस्ट से रमनदीप को टारगेट करके फ़ायरिंग शुरू हो गई। 

रमनदीप भारतीय सेना का एक प्रशिक्षित कमांडो था। वह मार्शल आर्ट में काफ़ी दक्ष था। गोलियों की बौछार में से बचकर कैसे निकलना है इस कला को वह बख़ूबी जानता था। इसलिए शत्रु की गोलियों से बचता हुआ वह लगातार भारतीय सीमा की ओर बढ़ रहा था। आख़िरकार वह भारतीय सीमा पर पहुँचने में सफल हो गया था। काफ़ी सावधानी बरतने के बावजूद शत्रु पक्ष की कई गोलियों ले उसके शरीर को छलनी कर दिया जिनमें से लगातार रक्त बह रहा था। असहनीय पीड़ा के बावजूद वह भारतीय सीमा में घुसने के लिए पहाड़ियों पर घुटने एवं कुहनियों के बल रेंगकर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा था। पाकिस्तानी पोस्ट से अब फ़ायरिंग बन्द हो गई थी। 

उधर भारतीय सीमा में स्थित सेना की द्रास सेक्टर पोस्ट के जाँबाज़ सैनिक सीमा पर गश्त कर रहे थे। रात का अँधेरा चारों ओर फैल गया था। हड्डियों तक को तपा देने वाली सर्द हवाएँ चल रही थीं मगर इससे सैनिकों के जोश में कोई कमी नहीं आई थी। वे पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे थे। 

अचानक उनकी नज़र रमनदीप पर पड़ी जो घुटनों और कोहनी के बल रेंगकर भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास कर रहा था। किसी आने वाले ख़तरे को भाँपकर सेना के जवान सतर्क हो गए थे। उन्होंने अपनी राइफलें लोड कर लीं और पूरी सावधानी से उस दिशा की ओर बढ़ने लगे जिधर से वह आदमी हमारे देश की सीमा में घुसने का प्रयास कर रहा था। सैनिकों ने उसे चारों ओर से घेर लिया। मगर वे यह देखकर हैरान रह गए कि उसके पूरे शरीर में गोलियों के घाव थे और उनसे ख़ून बह रहा था। उसकी पीठ पर एक बैग टँगा हुआ था। वह अब भी आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा था। 

अपने चारों ओर भारतीय सेना के जवानों को देखकर रमनदीप के चेहरे पर ख़ुशी की एक अनोखी चमक आ गई थी। उसके शरीर से बहुत अधिक ख़ून वह चुका था और उसकी श्वास रुक-रुक कर चल रही थी। उसने भारत की मिट्टी को हाथ में लेकर अपने माथे से लगाया। फिर उसने सिर झुकाकर धरती को चूमा और भारत माता की जय के उद्घोष के साथ अपने जीवन की अन्तिम श्वास ली। 

भारतीय सेना के जवान उसे ऐसा करते देख हैरान से खड़े थे। उन्होंने उसकी तलाशी ली। उसकी जेब से उसका आईडेन्टिटी कार्ड मिला जिससे पता चला कि वह इण्डियन मिलिट्री इन्टेलीजेन्स कोर का जासूस रमनदीप सिंह था। जिसे एक गोपनीय मिशन पर पाकिस्तान भेजा गया था। 
उसके बाएँ हाथ की मुट्ठी में एक मुड़ा-तुड़ा काग़ज़ का टुकड़ा था। एक जवान ने उसकी मुट्ठी खोलकर वह काग़ज़ का टुकड़ा निकाला। उसमें लिखा था—मैंने अपना मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया। मेरे बैग में जो लैपटॉप है उसमें पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी ट्रेनिंग कैम्पों के फोटो हैं। प्लीज़ इसे हेडक्वार्टर पहुँचा देना। लौटते समय पाकिस्तानी सैनिकों ने अंधाधुंध फ़ायरिंग कर मुझे बुरी तरह घायल कर दिया। मगर मुझे इस बात की बेहद ख़ुशी है कि मैंने भारत माता की गोद में अपने जीवन की अन्तिम श्वास लिया। भारत माता को उसके पुत्र का आख़िरी प्रणाम। तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहे ना रहें। जय हिन्द। भारत माता की जय। 

रमनदीप का पत्र पढ़कर सेना के जवानों की आँखों की कोरें गीली हो गईं थीं। उन्होंने सैल्यूट देकर भारत माता के इस सच्चे सपूत को अपनी श्रद्धांजलि दी थी। 

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