पैरों तले
सुनील चौधरीपैरों तले दबने का क्या?
कितनी ही गर्दनों ने तोड़ा है दम
कितने ही भारी व सुडौल पैरों के तले,
कितनी ही गर्दनों ने झेला है पीड़ा को
खेतों में खटते हुए,
कितनी ही गर्दनों से टपका है लहू
कोड़ों की मार सहते हुए,
कितनी ही गर्दनें रही हैं भूखी
मेहनताने में दो जून की रोटी न पाकर,
कितनी ही गर्दनें सहलाई गई हैं
पुचकारते हुए
कौन हिसाब करेगा?
कौन जवाब देगा?