आया यह मृदु-गीत कहाँ से!
अनिल मिश्रा ’प्रहरी’कलित पुष्पदल निज मुख खोले
पत्र समीरण के संग डोले,
सुर-संगम, संगीत कहाँ से
आया यह मृदु-गीत कहाँ से!
मंद-मंद खगकुल के कलरव
नीरवता में घोल रहे रव,
छलकी अनुपम प्रीत कहाँ से
आया यह मृदु-गीत कहाँ से!
गान अलौकिक गुंजित वन में
सौरभ, सुधा-सिन्धु कण-कण में,
गुनगुनकर अलि-मीत कहाँ से
आया यह मृदु-गीत कहाँ से!