ठोकरों से डरा न कर

01-10-2021

ठोकरों से डरा न कर

बीना राय (अंक: 190, अक्टूबर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

ठोकरों से डरा न कर 
बल्कि उठकर उनपर 
अपने धूल झाड़कर 
हँसते हँसते आगे 
बढ़ जाया कर 
अब वो चाहे जैसी
भी ठोकर हों
उनके लगने से तू
ख़ुद को रोक मत
ना ही कुछ सोच
और ना वक़्त ज़ाया कर
ठोकर तो आख़िर ठोकर है
उसका काम ही है 
चोट पहुँचाने का 
और इसीलिए तो 
वह एक ही जगह
पर पड़ी रहती है 
पर जिसका काम 
मंज़िल पाना है 
वह रुकता नहीं
न ही बहुत सोचता है 
कि मुझे ठोकर लगी  
उसे तो बस ये याद 
रखना चाहिए कि 
उसे अपने मुक़ाम 
तक पहुँचना है
हाँ पर सफ़र में 
ठोकरों से सतर्क 
ज़रूर रहना है।

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