तेरी यादों की चिट्ठियाँ

01-09-2019

तेरी यादों की चिट्ठियाँ

सत्येंद्र कुमार मिश्र ’शरत्‌’

ये 
बहती हवाएँ
तेरी 
यादों की 
चिट्ठियाँ लेकर आती हैं,
हल्के हल्के से
मेरे कमरे की 
खिड़कियों को खड़खड़ाती हैं,
और
कमरे में
तेरे चिह्नों को
चूमती हैं,
मुझे
झकझोरते हुए
वापस लौट जाती हैं
जवाब लेकर,
जहाँ से आती हैं।
वापस चली जाती हैं, 
दूसरी चिट्ठी लेने।

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