स्वर्ण   -  चिरैया    भारतवर्ष

01-09-2020

स्वर्ण   -  चिरैया    भारतवर्ष

अनिल मिश्रा ’प्रहरी’ (अंक: 163, सितम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

भारत  की   मिट्टी   है    सोना
शस्य   भरा  है  कोना - कोना, 
आशाओं की किरण  दृगों   में 
कण-कण पर  छाया   उत्कर्ष। 
स्वर्ण   -  चिरैया      भारतवर्ष। 
 
विभव, रत्न से सज्जित   काया 
मोती,  माणिक   इसने    पाया, 
दूर तिमिर, हर दिशा विभासित
मुख -  मंडल  पर  तिरता  हर्ष। 
स्वर्ण   -  चिरैया       भारतवर्ष। 
 
सकल विश्व  की  एकल  वाणी 
भारत - भूमि  जगत् -कल्याणी, 
ज्ञान  और  गुर   से   आभूषित 
दूर   हृदय   से    सदा    अमर्ष। 
स्वर्ण   -  चिरैया       भारतवर्ष। 

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