स्वामी विवेकानन्द जयन्ती
शकुन्तला बहादुरभारत-भू पर हुए अवतरित, एक महा अवतार थे।
थी विशेष प्रतिभा उनमें, वे ज्ञानरूप साकार थे॥
तेजस्वी थे, वर्चस्वी थे, महापुरुष थे परम मनस्वी।
था व्यक्तित्व अलौकिक उनका, कर्मयोग से हुए यशस्वी॥
भारत के प्रतिनिधि बनकर वे, अमेरिका में आए थे।
जगा गए वे जन जन को, युग-धर्म बताने आए थे॥
सुनकर उनकी अमृतवाणी, सभी विदेशी चकित हुए।
सभी प्रभावित हुए ज्ञान से, अनगिन उनके शिष्य हुए॥
भारत की संस्कृति का झंडा, तब जग में लहराया था।
अपने गौरव, स्वाभिमान का, हमको पाठ पढ़ाया था॥
आस्था, निष्ठा, आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान को कर उद्घाटित।
सब में वही आत्मा है, मानव-सेवा को किया प्रचारित॥
आए थे 'नरेन्द्र' बन कर जो, वही महा-ऋषि सिद्ध हुए।
दे 'विवेक' 'आनन्द' जगत को,"विवेकानन्द" प्रसिद्ध हुए॥