पथ (सत्येंद्र कुमार मिश्र ’शरत्‌’)

01-10-2019

पथ (सत्येंद्र कुमार मिश्र ’शरत्‌’)

सत्येंद्र कुमार मिश्र ’शरत्‌’

सब तय है
पहले से ही,
कब क्या होगा,
कौन कब,
किस पथ पर मिलेगा
निश्चित है।
कोई बस नहीं है
अपना इस पर,
कुछ नहीं कर सकते
बस्स
सिवा इंतज़ार 
और निरंतर
अज्ञात पथ पर
चलने के।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

शोध निबन्ध
कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में