नई पृथ्वी

सुनील चौधरी

वे
मेरे पास आए
उन्होंने 
नई पृथ्वी बसाई थी
बोले -
बहुत ही प्रेम है
वहाँ पर।
बहुत ही चैन है
वहाँ पर।
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ हैं
वहाँ पर।

मैंने भी कह दिया-
जाओ
लौट जाओ
अपनी पृथ्वी पर
जाकर बना दो
मंदिर, मस्जिद ,चर्च
और
गुरुद्वारे
फिर 
लड़ते रहना
हर दिन
हर रात
हर सप्ताह 
हर महीने
और जीवन भर

इतना सुन 
वे चले गए 
और
आज तक
नहीं लौटे।

डरता हूँ
कहीं उन्होंने
सच में तो
मेरी बात 
नहीं मानी थी।

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