महसूस करो
पेड़ से गिरते
पत्ते को।
उस तड़प को
जो उठ रही
है दिल में
किसी की याद बनकर,
उसे भोगना नहीं है
और न तो
जीवन भर जीना
केवल कुछ पल
महसूस करना।
बीच भीड़ में,
अकेले में
कुछ पढ़ते समय
या कुछ लिखते हुए
थम जाए
हाथ में
पकड़ा हुआ पेन
और कुछ लिखने लगे,
शायद किसी के
नाम का पहला अक्षर,
या शायद
जिसके बारे में
नहीं सोचना चाहते,
अब तुम महसूस करोगे
यादें शब्दों में
ढल रहीं है
बिना
किसी आवाज़ के
एक युद्ध चल रहा है।
बुद्धि और मन में।