किताबें सिर्फ़
अगली कक्षा में
जाने के लिए
सीढ़ी ही नहीं हैं
वरन
किताबें
अपने आप में
एक अलग दुनिया हैं।
जो
इस दुनिया में है
वह किताब में है,
और
जो इस किताब में नहीं है
वह
कहीं नहीं है
और
मुझे तो
ऐसा लगता है
की
दुनिया ही
एक
किताब है।
इसे
खोलते जाओ
नए नए राज़
अपने आप
खुलते जाते हैं।