जब तक
बातें हैं,
तब तक 
मनुष्य है 
जब 
बातें ख़त्म 
तब मनुष्य ख़त्म।

इसलिए 
ज़रूरी है
खाने में नमक की तरह
रिश्तों में बातें।
बातों से
बनी रहेगी मिठास
रिश्तों में
और 
एक दूजे के 
दिलों में।

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