विदेश चले हम

15-07-2024

विदेश चले हम

अनुराग (अंक: 257, जुलाई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

बादल पे सवार होकर आया एक संदेश, 
कंपनी काम के लिए भेज रही है आपको विदेश। 
ये सुनकर हुआ असीम आनंद का अनुभव, परन्तु
अगले ही क्षण प्रकट हो गयी एक बिन बुलाई किन्तु। 
बात ऐसी थी कि नहीं बना था पासपोर्ट हमारा, 
क्या पूरा होगा विदेश जाने का सपना . . . मैं बेचारा? 
हमने विदेश में बैठे एक मित्र से साधा संपर्क, 
पूछा कितना लगता पासपोर्ट बनवाने में समय? 
बस घूम आओ इंटरनेट के गलियारों में,  हो अभय।
मित्र ने कहा अब बदल समय बदल चुका है, 
पासपोर्ट बनवाना अब है सरल, न कुछ रुका है
सारे तामझाम के बाद पासपोर्ट आ जाएगा हाथ में, 
यहाँ जल्दी आओ, विदेश घूमेंगे दोनों साथ में। 
कुछ दिनों के बाद पासपोर्ट आ गया हाथ में, 
चल दिए हम एयरपोर्ट घरवालों के साथ में। 
बादल पे सवार होकर चले हम विदेश, 
पता नहीं कब लौटेंगे फिर अपने देश। 
पहली बार क़दम रखा हमने सात समंदर पार, 
बहुत ठंड भी है यहाँ मेरे यार। 

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