कवि के समोसे
अनुराग
गरम तेल में समोसे तल गए,
एक कवि हलवाई बन गए।
लोगों ने पूछा—
कैसे आया ये परिवर्तन?
कवि बोले—
कविता करते-करते
बिक गए घर के सारे बरतन।
काव्यात्मक ढंग से कवि ने बनाये समोसे,
बिक जाएँगे सारे भगवन के भरोसे।
लोग बोले—
समोसा क़लम पे भारी कैसे हो जाता है?
कवि बोले—
भूखे पेट अब सोया नहीं जाता है।
दुकान का मालिक बोला—
कवि महोदय, समोसों को इतना मत तल
नहीं तो वो जाएँगे जल!
कवि बोले—
समोसे क्या हैं
हमारी कविता सुन के
अच्छे अच्छे कवि भी हो जाते हैं,
कोयला जल-भुन के!
दुकानदार तुनककर बोला—
अब एक भी समोसा जला
तो दूँगा तेरी कविताएँ जला।
कवि बोले—
बड़ा उपकार हो जाएगा,
ठण्ड में अलाव का इंतज़ाम हो जाएगा।
कुछ तो काम आएँगी कविताएँ,
जला दो इन्हें मिलेंगी दुआएँ।