ठंड मेंं बढ़ जाता है हार्टअटैक का ख़तरा, कैसे बचें
स्नेहा सिंहइस समय ठंड जानलेवा हो रही है। चूँकि ठंड मेंं अचानक ब्लडप्रेशर बढ़ने से नसों मेंं ख़ून के गट्ठे जम जाते हैं। इसलिए हार्टअटैक और ब्रेनअटैक की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। ठंड हार्ट और ब्रेन पर भारी पड़ जाती है। इसलिए शीतलहर से बचना ज़रूरी है। अगर बाहर निकलते हैं तो सिर और नाक ढक कर निकलें। अगर उम्र 60 से ज़्यादा है तो इस तेज़ ठंड में घर से बाहर न ही निकलें तो ठीक रहेगा।
ठंड मेंं कैसे बचें हार्टअटैक से:
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ठंडी मेंं नसें सिकुड़ जाती हैं। अनेक लोगों की नसों मेंं कोलेस्ट्राल पहले से ही ब्लाक होता है। ठंड मेंं जब नसें अधिक सिकुड़ जाती हैं तो इसे रोकने की क्षमता 40 प्रतिशत से बढ़ कर 80 प्रतिशत हो जाती है। हार्टअटैक और ब्लडप्रेशर बढ़ने का यही कारण है।
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हार्टअटैक कोरीनरी धमनी मेंं ख़ून का गट्ठा जम जाने के कारण आता है। ठंडी मेंं शरीर मेंं फाइब्रिनोजेन का स्तर 23 प्रतिशत बढ़ता है। इसके अलावा प्लेटलेट काउंट भी बढ़ जाता है। इससे ख़ून जम जाने से अटैक आने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
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सम्भव हो तो ठंडी मेंं सूरज उगने के पहले बाहर जाने से टालें। अगर जाएँ भी तो सिर के हिस्से को ढक कर रखना ज़रूरी है।
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विटामिन डी की कमी उन कारणों मेंं एक है, जो हार्टअटैक का कारण बन सकती हैं। ठंड के सीज़न मेंं विटामिन डी लेना चाहिए। अगर धूप से विटामिन डी नहीं ले पा रहे हैं तो उसकी जगह सप्लीमेंंट लें।
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ऊनी कपड़े पहनें, क्योंकि इससे ठंडी कम लगेगी। बिना मतलब बाहर न जाएँ। कोहरे मेंं तो बिलकुल बाहर न निकलें।
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घर मेंं ही छोटी-बड़ी कसरत करें और ब्लडप्रेशर को कंट्रोल मेंं रखें।
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अगर बीपी या हाइपरटेंशन की दवा ले रहे हैं तो समय पर लें।
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