स्व. श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा सदा याद आयेंगे

15-04-2024
  • शतरंग का स्व. ज्ञानेन्द्र शर्मा पर विशेषांक
    शतरंग का स्व. ज्ञानेन्द्र शर्मा पर विशेषांक
  •  स्व. श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा  के साथ लेखक सुरेन्द्र अग्निहोत्री
     स्व. श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा  के साथ लेखक सुरेन्द्र अग्निहोत्री

स्व. श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा सदा याद आयेंगे

सुरेन्द्र अग्निहोत्री (अंक: 251, अप्रैल द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

स्व. श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा के मन में समाज के प्रति संवेदना की दृष्टि और सृष्टि: 

वीर भूमि बुन्देलखंड में क्रांति की काशी झांसी जनपद के मऊरानीपुर में जन्मे श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा ने क़लम की साधना से अपना विराट व्यक्तित्व गढ़ा है। सेल्फ़ी के युग में आत्म-प्रचार (सेल्फ पब्लिसिटी नॉट क्लाउड) से हमेशा दूर रहने वाले सृजनकार, पत्रकार, लेखक, कवि, कहानीकार तथा संपादक श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा की वैचारिक स्पष्टता के कारण,  पत्रकारिता और राजनीति दोनों ही क्षेत्रों में, देश और प्रदेश के दिग्गज नेता भी उनकी लेखनी का लोहा मानते हैं। हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने लम्बे अनुभव के कारण हमेशा से ही बड़े आदर के साथ हम सब उनसे विमर्श प्राप्त करते हैं। माल बनाम मूल्य के बीच वह सदैव मूल्यों के प्रति समर्पित भाव से कार्य करते हुए सत्ता के नज़दीक होते हुए भी सत्ता से हमेशा दूर रहे। 

उनका मानना था कि सत्ता समाज को भ्रष्ट बनाकर अपने अनुकूल करने की सदैव साज़िश करती है। लोकतंत्र में सुविधा और उपहार का हार आकर्षित करता है। सरकारों की कार्य प्रणाली हमेशा एक जैसी होती है। इन सवालों पर उन्होंने 2011 में प्रकाशित आलेख ‘क्षत्रपों को क्यों नहीं चाहिए मज़बूत लोकायुक्त’ में बड़ा सटीक विश्लेषण किया है। लोकतंत्र में विधानसभा और लोकसभा के अधिकार सर्वोच्च होते हैं। उत्तर प्रदेश विधानमंडल की उत्तर शती रजत जयंती पर प्रकाशित आलेख ‘सरकार की गर्दन तक अब नहीं पहुँचता विधानसभा का हाथ’ अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।  ‘मीडिया यानी घृणा करने लायक़ तंत्र’, ‘हम उस प्रदेश के वासी हैं जहाँ जाति की गंगा बहती है’, ‘बरसात में हमसे मिले तुम’, ‘हमें तो आपने ही बिगाड़ा है मान्यवर’, ‘फिर चला अमर सिंह का जादू’, ‘यह क्या बस एक दिन के सम्मान के लायक़ हैं!’, ‘उत्तर प्रदेश की तपती धूप पर मध्य प्रदेश का साया’, ‘हंगामा बन गया है अब एक संसदीय परंपरा’, ‘जब तक पालतू रहे अच्छी लगती है पुलिस’, ‘वीर बहादुर को इस्तीफ़ा देने का निर्देश मिला’, ‘लीडरों में शान है, शौकत है, बिज़नेस है, काले कामों के लिए कवच भी’, ‘चुनाव समर उत्तर प्रदेशः नाम बड़े और दर्शन छोटे’, ‘यहाँ बनती है नीति बनके बिखर जाने को’, ‘वहीं सुनहरी कहानी साल दर साल पीढ़ी दर पीढ़ी’, ‘राजनीतिक के अखाड़े में आख़िर वे मौत से हारे’, ‘राजभवन में लहराता है फटा तिरंगा’, ‘आओ इस अँधेरे में बिजली, बिजली खेलें’, ‘मिनरल वाटर 17रु. में पेट्रोल ढाई रुपए लीटर’, ‘इलाहाबादी पर्दे पर रहस्य रोमांच भरा ड्रामा! मेरे पास पिताजी हैं’, ‘वाजपेई ने विमान से दिया पाकिस्तान को शुभकामना संदेश’, ‘तुम बियर पियो ताकि हम नाश्ता कर सकें’, ‘अफसरशाही के चुनाव चालीसा की दुर्गति’, ‘403 कुर्सियों पर 889 की नज़र!’, ‘सपा का नया सीरियलः बेटा, बहू, बाहरी और ’वो’‘, ‘ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार क्या रखा है हिंदी में यार!’ आलेख वास्तविक स्थिति की सटीक जानकारी देते हैं। विदेश यात्रा पर ‘बेमिसाल है शिराज की ख़ूबसूरती’ आदि अनेकों आलेखों के बीच प्रदेश के सूचना आयुक्त की भूमिका निर्वाह करते समय दैनिक हिन्दुस्तान में बातचीत आधारित, ‘नाखून अभी ठीक से चुभ नहीं रहे’ उस चिंता की ओर अगाह है कि जनता को मिले, सूचना के अधिकार क़ानून को किस तरह नौकरशाही और राजनीति मिलकर मोथरा बना रही है। 

श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा के मन में समाज के प्रति संवेदना की दृष्टि और सृष्टि को समझने के लिए श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा एकाग्र विशेषांक:

विशेषतौर से उन वरिष्ठों का जिनका अवदान समाज के लिये प्रेरणास्पंद और अनुकरणीय होता है समझने के लिए शतरंग टाइम्स पत्रिका का संपादन किया था। स्व. ज्ञानेन्द्र शर्मा ने पिछले 60 वर्षों में सक्रिय पत्रकारिता व लेखन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई। हज़ारों की संख्या में उन्होंने लेख, आलेख लिखे हैं और मीडिया के कई महत्त्वपूर्ण घरानों, अंगों में काम करने का गौरव हासिल किया। लगभग साढ़े चार वर्ष तक उत्तर प्रदेश के प्रथम राज्य सूचना आयुक्त और राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर काम करते हुए उन्होंने प्रशासनिक अनुभव प्राप्त किया और जन-जन को ‘सूचना के अधिका’ के अंतर्गत न्याय दिलाने की दिशा में सैकड़ों महत्त्वपूर्ण फ़ैसले सुनाए। इस पद पर आसीन होने वाले हिन्दी के पहले पत्रकार, जिन्होंने अपने कार्यकाल में सूचना का अधिकार अधिनियम की बारीक़ व्याख्या की और विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अनगिनत फ़ैसले सुनाए; जिनमें से दर्जनों निर्णय चर्चित रहे, पूर्वोदाहरण बने जिन्हें कि समय-समय पर उद्धृत किया गया। 

सक्रिय पत्रकारिता की अर्ध-शताब्दी से अधिक 1965 से 2010 के दौरान वे कई प्रमुख पदों पर रहे: 

संक्षेप में कहें तो वह वरिष्ठ स्थानीय संपादक, दैनिक हिन्दुस्तान, नई दिल्ली; राजनीतिक संपादक, दैनिक जागरण, लखनऊ; स्थानीय संपादक, स्वतंत्र भारत, लखनऊ; प्रधान संपादक, जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ; चीफ़ रिपोर्टर, नवभारत टाइम्स; ब्यूरो प्रमुख; मैनेजर; विशेष संवाददाता, समाचार भारती /न्यूज एजेंसी; ब्यूरो प्रमुख, समाचार; चार समाचार एजेंसियों के संविलय से बनी राष्ट्रीय समाचार एजेंसी, लखनऊ; सह संपादक, मध्य प्रदेश क्रानिकिल; एम पी क्रानिकिल; अंग्रेज़ी दैनिक, भोपाल आदि।

देश के उपर्युक्त शीर्ष संस्थानों में समाचार संकलन, लेखन और समाचार प्रबंधन की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी का वहन किया, प्रशासनिक, संपादकीय टीमों का नेतृत्व किया। अनेक विषयों पर दर्जनों समसामयिक विचारोत्तक लेख लिखे तथा समाचारों का बारीक़ विश्लेषण कर हज़ारों-हज़ार पाठकों का स्नेह हासिल किया। 

दूरदर्शन एवं अन्य टेलीविज़न चैनल, आकाशवाणी:

टेलीविज़न चैनलों के लिए 1976 से लगातार सामयिक विषयों पर कार्यक्रम तैयार किए और उनका तथा उनसे जुड़ी चर्चाओं का प्रस्तुतीकरण किया। इन चर्चाओं में आम आदमी के संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा से जुड़े विषयों पर चर्चाएँ शामिल थीं। इन टेलीविज़न चैनलों में दूरदर्शन और ईटीवी प्रमुख थे। आकाशवाणी, बी.बी.सी. और वॉयस ऑफ़ अमेरिका के लिए अनेक प्रोग्राम तैयार और प्रस्तुत किए। 

स्वतंत्र लेखन: 

पत्रकारिता क्षेत्र की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं यथा धर्मयुग, दिनमान, दिनमान टाइम्स, नई दुनिया, कादम्बिनी में कई वर्षों तक लगातार लेखन कार्य किया। 

विदेश यात्राएँ:

अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, कैनेडा, ईरान, सिंगापुर, थाईलैंड, फ़्राँस, इटली, स्विट्ज़रलैंड व कुछ अन्य यूरोपीय देशों का भ्रमण किया। अमेरिका की 6 बार यात्रा की और वहाँ के सामाजिक, आर्थिक व प्रशासनिक ढाँचे के अलावा राजनीतिक गतिविधियों का अध्ययन किया। भारत के प्रधानमंत्री के साथ ईरान और विदेश मंत्री के साथ रूस की अधिकारिक यात्रा की। 

पुस्तक: ’एक अदद लड़की’ लिंग भेद पर आधारित कहानी संग्रह, 2008 में प्रकाशित हुआ। 

आज वह हमारे बीच भौतिक शरीर के रूप में भले ही नहीं है लेकिन उनकी क़लम से निकल कर छपे शब्द हम सब पत्रकारों को प्रेरणा देते रहेगें। सादर नमन!

लेखक ने शतरंग टाइम्स के स्व ज्ञानेन्द्र शर्मा एकाग्र विशेषंक का संपादन किया है। 

  • शतरंग का स्व. ज्ञानेन्द्र शर्मा पर विशेषांक
    शतरंग का स्व. ज्ञानेन्द्र शर्मा पर विशेषांक
  •  स्व. श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा  के साथ लेखक सुरेन्द्र अग्निहोत्री
     स्व. श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा  के साथ लेखक सुरेन्द्र अग्निहोत्री

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

व्यक्ति चित्र
कार्यक्रम रिपोर्ट
पुस्तक समीक्षा
सांस्कृतिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में