नया अनुभव संसार रचता फ़रिश्ते कहानी संग्रह
सुरेन्द्र अग्निहोत्रीपुस्तक: फ़रिश्ते (कहानी संग्रह)
लेखकः अनिल कुमार
प्रकाशकः शतरंग प्रकाशन, लखनऊ-226001,
मूल्य: ₹350
कहानी संग्रह ‘फ़रिश्ते’ मशहूर लेखक अनिल कुमार का पहला कहानी संग्रह है। यह संग्रह पहला अवश्य है, कहानी संग्रह ‘फ़रिश्ते’ में 1. फ़रिश्ते, 2. कालरात्रि, 3. कोरोना गली, 4. कर्तव्यपथ, 5. मेरी लता दीदी, 6. लोकतंत्र, तुम कब आओगे, 7. लव जिहाद, 8. छोटकी मलकाइन, 9. नियोग 10. जैनिटर सहित दस कहानियाँ है। लेखक अनिल कुमार कहानी काफ़ी समय से लिख रहे हैं और उनकी कई पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रमुखता से प्रकाशित होती रही हैं। कहानी के अतिरिक्त विज्ञान विधा में भी अधिकारपूर्वक लिखते है। अत्याधुनिक सुविधाओं वाले फ़्राँस में रहते हुए भी लेखक अपने गाँव को याद करता रहा, उसे हर समय जीता रहा। वही अपनी मिट्टी, अपनी जड़ों की ख़ासियत है कि व्यक्ति दूर जाकर भी क़रीब आता जाता है। अपनी मिट्टी/अपने देश से दूर नए प्रवासी भारतीयों का भी ऐसा ही हाल रहता है। वे बेहतर भविष्य के लिए दूर देशों में गए, छोड़ा है पीछे मसलन घर, परिवार, नाते-रिश्ते आदि। वे सब बातें उनकी स्मृति में लगातार मौजूद हैं, उन्हें कोचती रहती हैं, हांट करती हैं चैन नहीं लेने देती हैं। वे भौतिक रूप से निश्चित ही संपन्न होते चले जाते हैं, अपने परिश्रम और लगन के कारण, किन्तु उन्हें बराबर बुलाते हैं, उनके कुएँ, तालाब, नदी-नाले, खेत-खलिहान, आम, अमरूद, चाचा-ताऊ, तीज-त्योहार और वे कोशिश करते हैं, उन सबको सँजोने की।
‘फ़रिश्ते’ संकलन की पहली कहानी है। यह कहानी फैजान मियाँ जो समाज के प्रति बेहद ईमानदार, निष्ठावान और समर्पित हैं, अपनी निजता खोकर समाज की सेवा करते हैं, के इर्द-गिर्द है। कहानी जीवन शैली की प्रमाणिक बानगी से भरी पड़ी है। चरित्रों का अंकन ख़ूबसूरती से किया गया है। संग्रह का नामकरण भी इसी कहानी के आधार पर किया गया है। संकलन की दूसरी कहानी का शीर्षक ‘कालरात्रि’। इसमें कहानीकार स्मृतियों को एक अख्यान में बदल देते है। इसमें कहानी बहुत सरलता से एक ‘मोटा भाई’ की कहानी कहती हुई आगे बढ़ती है और सुंदर और मोहक संसार/निश्छल संसार प्रकट होने लगता है। कुल मिलाकर वह एक सुंदर आख्यान पेश करती हुई कहानी है, जिसमें सरल, ‘मोटा भाई’ का चित्र व चरित्र दर्ज है जो हमारे समय के लोगों को अविश्वसनीय लग सकता है। संकलन में ‘लोकतंत्र, तुम कब आओगे’ शीर्षक से एक कहानी है, जिसमें कटु यथार्थ प्रकट हुआ है।
‘लव जिहाद’ संकलन की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कहानी है। परिवेश-चित्रण बहुत जीवंत तरीक़े से किया है अनिल कुमार की कहानियों की विशेषताओं की सूत्र रूप में चर्चा करते हुए उनके भारत-प्रेम, विस्थापन का दंश, स्त्री-पुरुष सम्बन्ध, स्त्री की निजता के प्रश्न, ऊब व अकेलेपन, दांपत्य-प्रेम व कम चर्चित किन्तु बेहद मानवीय प्रसंगों को कहानियों में जगह देना है। इन ख़ूबियों के साथ उनकी एक बड़ी ख़ूबी नरेशन की ताक़त भी है। वे अत्यंत रोचक तरीक़े से कहानी कहते है। पाठक धीरे-धीरे ख़ुद को भूलकर उनकी कहानी का हिस्सा बनने लगता है। उनकी कहानियों की भाषा सरल है, इससे कहानी में सर्मपण की कोई समस्या पैदा नहींं होती है। आज जबकि हिंदी कहानियाँ अपनी संरचना व संवेदना की दृष्टि से जटिल हो रही हैं, ऐसे में डॉ. अनिल कुमार बहुत सरल व सधे तरीक़े से हमारी सवेदनाशीलता को छूती हुई, मनुष्यता का पक्ष मज़बूत करती हुई उपस्थित होती हैं। यह उनके कहानीकार की एक बड़ी उपलब्धि है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
ए-305, ओ.सी.आर.
बिधान सभा मार्ग; लखनऊ
मो0ः 9415508695
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- पुस्तक चर्चा
- सामाजिक आलेख
- व्यक्ति चित्र
- कार्यक्रम रिपोर्ट
- पुस्तक समीक्षा
-
- अनुभव के बोल सर्वग्राही कथा संग्रह
- कल्याणी कथा संग्रहः मानव जीवन को उत्कर्ष बनाने की आकांक्षाओं वाला अनुपम कथा संग्रह
- चाक्षुष सुख का आनंद दिलाती ‘इलाहाबाद ब्लूज’ पुस्तक
- नया अनुभव संसार रचता फ़रिश्ते कहानी संग्रह
- मानवीय संवेदनाओं का चित्रण कहानी-संग्रह ‘वो मिले फेसबुक पर’
- रामचरण हर्षाना का कहानी संग्रह ‘झूठ बोले कौआ काटे’ उम्मीद जगाता है
- सांस्कृतिक आलेख
- विडियो
-
- ऑडियो
-