मुझे उस शख़्स की तलाश है
सुरेन्द्र अग्निहोत्रीपुस्तक: फूल, कलम और बंदूक (काव्य संग्रह)
कवि: संतोष कुमार झा
प्रकाशक: विजय बुक्स, नयी दिल्ली
पृष्ठ: 112
मूल्य: ₹ 225.00
ISBN: 978-8194926870
एमाज़ॉन लिंक: फूल, कलम और बंदूक
रोज़मर्रा की जीवनशैली के विविध पहलुओं से हमें कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। बस नज़रें, सोच और भावुकता ज़रूरी है। इसी भावुकता के साथ अगर विचारों को आपने क़लमबद्ध कर दिया तो फिर बात ही कुछ और है। ऐसा ही कुछ किया है संतोष कुमार झा ने। उनकी तीसरी पुस्तक फूल, ‘कलम और बंदूक’ में कुल 52 कविताएँ हैं। नए दौर की इन कविताओं में कहीं संदेश हैं तो कहीं उपदेश। कुछ बानगी देखिए:
“क्या मनुष्य के हाथ में
फूल, कलम और बंदूक
होना भी नियति ने तय किया है?”
ऐसा ही कुछ उन्होंने कविता गुमशुदा में कहा है:
“मुझे उस शख़्स की तलाश है
जो कही खो गया है
गुमशुदा हो गया है।”
कविता सोच में उनके लेखन का नया अंदाज़ झलकता है। वह लिखते हैं:
“अमलतास का यौवन
इतना क्षणभंगुर क्यों होता है
जीवन के सुख के क्षणों की तरह”
कविता ‘कहीं-कहीं’ में कवि का शायराना अंदाज़ झलकता है।
कविता संग्रह ‘फूल, कलम और बंदूक’ सामाजिक, आध्यात्मिक एवं दार्शनिक महिमा पर एक गहन और विचारशील विश्लेषण प्रस्तुत करता है। प्रायः मानव अपने आत्मिक स्वरूप से विमुख होता जा रहा है। व्यर्थ के संकल्पों, रूढ़िगत धारणाओं और समाज में व्याप्त विद्रूपताओं के भँवर में फँसकर चक्रवत् घूम रहा है और इस निमज्जन से पार पाने का असफल प्रयास कर रहा है। वह किंकर्तव्यविमूढ़-सा इसी ऊहापोह में उलझकर यह भूल जाता है कि परमात्मा और प्रकृति का सान्निध्य, दया, धर्मादि उदात्त मूल्यों का अवलम्बन पाकर ही सांसारिक विकारों से मुक्ति पा सकता है—ऐसा कवि संतोष कुमार झा का भी मानना है। संग्रह की कविताओं में भाषा, सरलता, सौष्ठव, बिम्ब, छंद आदि विविध कलापक्षीय उपादानों के माध्यम से कवि संतोष कुमार झा का कलागत वैदुष्य स्पष्ट झलकता है। कवि का प्रयास सराहनीय कहा जा सकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
ए-305 ओसीआर बिल्डिंग
विधानसभा मार्ग
लखनऊ
मो0ः 9415508695
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- पुस्तक समीक्षा
-
- अनुभव के बोल सर्वग्राही कथा संग्रह
- कल्याणी कथा संग्रहः मानव जीवन को उत्कर्ष बनाने की आकांक्षाओं वाला अनुपम कथा संग्रह
- चाक्षुष सुख का आनंद दिलाती ‘इलाहाबाद ब्लूज’ पुस्तक
- नया अनुभव संसार रचता फ़रिश्ते कहानी संग्रह
- मानवीय संवेदनाओं का चित्रण कहानी-संग्रह ‘वो मिले फेसबुक पर’
- मुझे उस शख़्स की तलाश है
- रामचरण हर्षाना का कहानी संग्रह ‘झूठ बोले कौआ काटे’ उम्मीद जगाता है
- पुस्तक चर्चा
- सामाजिक आलेख
- व्यक्ति चित्र
- कार्यक्रम रिपोर्ट
- सांस्कृतिक आलेख
- विडियो
-
- ऑडियो
-