सूरज की पहली किरण!
धीरज श्रीवास्तव ’धीरज’सूरज की पहली किरण!
जब खिड़की से झाँकती है
मैं अलसाया-सा सोता हूँ
वो आकर मुझे जगाती है
मैं आँखें मलता उठता हूँ।
जीवन का संदेश सुनाती
अँधेरों में राह दिखाती
पथ-प्रर्दशक बनकर मेरे
साथ-साथ वो चलती है
मैं आगे बढ़ता जाता हूँ।
मत देखो तुम इधर-उधर
अपने ध्यान में रहो मगन
एक दिन मंज़िल पाओगे
झूमेंगे धरती और गगन।
मैं गीत ख़ुशी का गाता हूँ।
सूरज की पहली किरण
जब खिड़की से झाँकती है।