चाँद-सितारे, मेंढ़क-पानी
धीरज श्रीवास्तव ’धीरज’(1)
गगन में सितारे, तिम तिम तिम,
बच्चों इनको, गिन गिन गिन।
चाँद और सूरज एक खिलौने,
लगते हैं कितने प्यारे सलोने।
(2)
नन्हे हाथों से तुम इनको जकड़ो,
भागे न देखो तुम इनको पकड़ो।
झिलमिल झिलमिल रात अकेली,
लेकर आई कितने संग सहेली।
(3)
बरसा पानी रात में,
मेंढ़क बोला साथ में।
आई चमकती बिजली रानी,
लेकर आई कितने पानी।
(4)
आओ नाचे, झूमे हम,
अब न रोना देखो तुम।
न करना तुम आनाकानी,
पढ़ना-लिखना नहीं शैतानी।
(5)
चन्दा मामा आएँगे,
खेल-खिलौने लाएँगे।
खेलेंगे हम मिलकर सारे,
तुम हो मेरे राजदुलारे।