शब्द
समीर उपाध्यायशब्द
व्यक्तित्व का आईना है।
हर एक शब्द का
अपना एक स्वाद होता है।
शब्द का प्रयोग करने से पहले
उसके स्वाद को चख लेना आवश्यक है,
क्योंकि जो स्वाद ख़ुद को अच्छा नहीं लगता
वो दूसरों को कैसे अच्छा लगेगा?
मुँह से निकले अविचारी शब्द
व्यक्तित्व को शून्य बना देते हैं
और मुँह से निकले मधुर शब्द
व्यक्तित्व को संपन्न बनाते हैं।
कब और कहाँ
शब्दों को विराम देना है
और कब और कहाँ
उसे विमल तरंग की तरह बहाना है
इसका ज्ञान हो जाए तो
जीवन की सारी गुत्थियाँ
अपने आप ही सुलझ जाएँगी।
आइए!
मधुर शब्दों का प्रयोग करके
जीवन के हर लम्हें को उत्सव बनाएँ।
यही है सबसे बड़ी साधना
और सबसे बड़ी आराधना।