सबकी सुनना, अपनी करना

08-01-2019

सबकी सुनना, अपनी करना

हस्तीमल 'ह्स्ती'

सबकी सुनना, अपनी करना
प्रेम नगर से जब भी गुज़रना

अनगिन बूँदों में कुछको ही 
आता है फूलों पे ठहरना

बरसों याद रखे ये मौजे
दरिया से यूँ पार उतरना

फूलों का अंदाज़ सिमटना
खुशबू का अंदाज़ बिखरना

गिरना भी है बहना भी है
जीवन भी है कैसा झरना

अपनी मंज़िल ध्यान में रखकर
दुनिया की राहों से गुज़रना

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें