पिताजी
पूनम कुमारी
अक़्सर पिताजी की याद
आ जाती है
जब देखती हूँ मैं
किसी बेबस बूढ़े व्यक्ति को
आँखेंं होने लगती हैं नम
कान होने लगते हैं बैचेन
सुनना चाहते हैं, ये कान
आवाज़, पिता की
देखना चाहती हैं
ये आँखें
पिता का चेहरा
पिता से
कहना चाहती हैं
ये धड़कनें
कि मुझे तुम्हारी
बहुत . . . आती है