एस० एम० एस०
आकांक्षा यादवअब नहीं लिखते वो ख़त
करने लगे हैं एस० एम० एस०
तोड़ मरोड़ कर लिखे शब्दों के साथ
करते हैं ख़ुशी का इज़हार
मिटा देता है हर नया एस० एम० एस०
पिछले एस० एम० एस० का वजूद
एस० एम० एस० के साथ ही
शब्द छोटे होते गए
भावनाएँ सिमटती गईं
खो गयी सहेज कर रखने की परम्परा
लघु होता गया सब कुछ
रिश्तों की क़द्र का अहसास भी।