मोनालिसा की रहस्यमय मुस्कान
गोवर्धन यादवइतालवी कलाकार लियोनार्दो दा विंची के द्वारा सोलहवीं सदी की शुरूआत में बनाया गया मोनालिसा का चित्र बीसवीं सदी के शुरू में ही लोकप्रिय हो गया था जो हर वर्ष साठ लाख कला प्रेमियों को पेरिस के लूव्र म्यूज़ियम ले जाता है, जहाँ यह कलाकृति संगृहीत है। इसकी लोकप्रियता ही है कि इसे अन्य कलाकृतियों से अलग करके विशेष दीवार पर प्रदर्शित करना पड़ा, ताकि 21 इंच लंबे और 30 इंच चौड़े चित्र में अंकित मोनालिसा की मुस्कुराहट का, उसके अप्रतिम सौंदर्य का आनन्द कलाप्रेमी सहजता से उठा सकें।
कहा जाता है कि मोनालिसा फ़्लोरेंस के रेशम व्यापारी फ़ांसिस्को-डे-जियोकार्डो की तीसरी पत्नी थीं। जब इसकी शादी हुई तो वह महज़ 24 साल की थी। सन् 1503 में दा विंची ने उसका पोट्रेट बनाना शुरू किया। उसके कुछ ही दिनों बाद उसने अपने दूसरे बेटे को जन्म दिया था। मोनालिसा की मुस्कुराहट, मातृत्व के सुख से उपजी ख़ुशी थी या लियानार्दो विंची के चर्चित होने वाले चित्र की मॉडल बनने की, इसका अंदाज़ा लगाया जाना काफ़ी मुश्किल काम है।
लियोनार्दो विंची की चित्रकला की विशेष एवं कुशल तकनीक का इस चित्र पर विशेष प्रभाव व असर होना ही था कि उसने उसे विश्व की कालजयी कलाकृति बना दिया। दरअसल चेहरे के भाव को दिखाने में होंठ, आँखों और उसके नीचे के हिस्से के चित्रण की भूमिका लियोनार्दो ख़ूब जानते थे। उन्होंने होंठॊं के दो छोरों को थोड़ा सा कुछ यूँ फैलाया कि दर्शकों की नज़र होंठों के ऊपर से होती हुई सीधे आँख पर और फिर होंठों पर वापिस आ जाती है। इस चित्र को देखने पर पता लगता है कि दर्शक और मॉडल के बीच कोई दूरी ही नहीं है और वह उसी की ओर देख व मुस्कुरा रही है। यह सब चित्रकार लियोनार्दो दा विंची की चार वर्षों (1503-1507) की कुशल तकनीक और मेहनत का ही नतीजा था।
चित्र में भाव पैदा करने के लिए जो छायाएँ बनायी गयी हैं, उसकी गहराई, आकार और वज़न होने का अहसास देकर प्रकाश को संतुलित बनाना केवल और केवल विंची जैसा चित्रकार ही कर सकता था। दूसरी ओर, हाथों और गाउन की सलवटों पर हलका प्रकाश और गले व सीने पर सबसे तेज़ प्रकाश डाला गया है। इसी तरह चेहरे पर ठुड्डी, आँखों के नीचे और माथे पर प्रकाश अधिक मात्रा में डाला गया है। छाया व प्रकाश की अप्रतिम व्यवस्था ने मोनालिसा के चित्र को अद्वितीय सौंदर्य प्रदान किया है। मुस्कान की रहस्यमयता को गहरा करने में रंग व्यवस्था व कलर इस्तेमाल करने की तकनीक की भी अपनी ख़ासी भूमिका है। परत दर परत रंग की कई तहें लगाई गई हैं। गहरे हरे रंग का प्रयोग उस समय काफ़ी कम ही किया जाता था। मोनालिसा के चित्र के पीछे पृष्ठभूमि का अंकन भी इस चित्र को विशिष्ट बना जाता है।
इस समय में बैकग्राउंड सपाट हुआ करते थे। लेकिन पृष्ठभूमि में पहाड़ियों का होना स्वभाविक लगता है। यह चित्र फ़्रांस के रेनेंसा पीरियड की अभिजात्य महिला की गरिमा को बढ़ा रहा है। पलकें और भौवों की विहीनता के बावजूद मोनालिसा का यह चित्र कलाप्रेमियों को दीवाना बना देता है। दरअसल यह विंची की अद्भुत कल्पनाशीलता और यथार्थ के मिश्रण का ही जादू था, जो इसे इतिहास की धरोहर बना गया।
1 टिप्पणियाँ
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many many thanks to you Sir yadav