कवि

डॉ. राजेन्द्र  वर्मा (अंक: 159, जुलाई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

कवि वही नहीं
जो कविता बुनता है
कवि वह भी है
जो कविता सुनता है।


कवि वही नहीं
जो कविता रचता है
कवि वह भी है
जो कुछ कहने से बचता है। 


कवि वह है
जो जीवन के प्रवाह में
अनायास बहता है
किनारे लगने का
प्रयास तो करता है
किन्तु
लहरों के थपेड़ों को
सीने पर सहता है
उफ नहीं करता है 
जलप्रपात से
तिरस्कृत तृण की तरह
गिरता है
तरता है 
भँवर से निकल कर 
फिर चलता है।


कवि वही है
जो तिनके की तरह बहता है
सफ़र के अनुभव को
उंडेल कर शब्द गढ़ता है
ख़ाली रहता है।


कवि वह है
जो कवि होता है
यूँ काव्य-गोष्ठी होती है
हो रही है
सब सुनने को आतुर हैं
कविता कोई नहीं कहता है।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

पुस्तक समीक्षा
कविता
नज़्म
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में