कवि वही नहीं
जो कविता बुनता है
कवि वह भी है
जो कविता सुनता है।
कवि वही नहीं
जो कविता रचता है
कवि वह भी है
जो कुछ कहने से बचता है।
कवि वह है
जो जीवन के प्रवाह में
अनायास बहता है
किनारे लगने का
प्रयास तो करता है
किन्तु
लहरों के थपेड़ों को
सीने पर सहता है
उफ नहीं करता है
जलप्रपात से
तिरस्कृत तृण की तरह
गिरता है
तरता है
भँवर से निकल कर
फिर चलता है।
कवि वही है
जो तिनके की तरह बहता है
सफ़र के अनुभव को
उंडेल कर शब्द गढ़ता है
ख़ाली रहता है।
कवि वह है
जो कवि होता है
यूँ काव्य-गोष्ठी होती है
हो रही है
सब सुनने को आतुर हैं
कविता कोई नहीं कहता है।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- पुस्तक समीक्षा
-
- उदयाचल: जीवन-निष्ठा की कविता
- ऐसा देस है मेरा: देश के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक ह्रास पर चिंता और चिंतन का दस्तावेज़
- क्षितिज : आस्तिक मन की सहज अभिव्यक्ति
- चिकन शिकन ते हिंदी सिंदी
- पुलिस नाके पर भगवान : जागरण का सहज-स्फूर्त रचनात्मक प्रयास
- विसंगतियों से जूझने का सार्थक प्रयास : झूठ के होल सेलर
- व्यवस्था को झकझोरने का प्रयास: गधे ने जब मुँह खोला
- वफ़ादारी का हलफ़नामा : मानवता और मानवीय व्यवस्था में विश्वास की नए सिरे से खोज का प्रयास
- हवा भरने का इल्म : मौज-मौज में मानव धर्म की खोज
- हिल स्टेशन की शाम— व्यक्तिगत अनुभवों की सृजनात्मक परिणति
- कविता
- नज़्म
- विडियो
-
- ऑडियो
-