करूँ हे विधाता सदा ध्यान तेरा

01-12-2025

करूँ हे विधाता सदा ध्यान तेरा

डॉ. अनुराधा प्रियदर्शिनी  (अंक: 289, दिसंबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)


भुजंग प्रयात छंद
122    122    122    122
 
करूँ हे विधाता सदा ध्यान तेरा। 
भरो ज्ञान अंतस छँटे धुँध घेरा॥
तु ही तो सखा है चले संग मेरे। 
धरूँ पाँव सत्पथ मिटे सब अँधेरे॥
 
जलाऊँ दिये मैं हृदय में बसाऊँ। 
प्रखर ज्योति आशा निराशा भगाऊँ॥
तु गोविन्द गोपाल आ जा पुकारूँ॥
तरसते नयन हैं तुझे ही निहारूँ॥
 
बनो सारथी आज रण फिर छिड़ा है। 
धरूँ धीर मन में विपक्षी खड़ा है॥
करूँ लक्ष्य संधान बैरी गिराऊँ। 
बजे शौर्य डंका स्वयं को रिझाऊँ॥
 
खड़े जो लिए शस्त्र उनको हराऊँ। 
सदा धर्म रक्षा सभी को बताऊँ॥
करूँ अंत रिपु का रचूँ शौर्य गाथा। 
नहीं भय रहेगा तभी सौख्य माथा॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें