कर रहा है

01-11-2025

कर रहा है

अश्वनी कुमार 'जतन’ (अंक: 287, नवम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

ख़्वाह-मख़्वाह का दिखावा कर रहा है
वो ख़ुद से ही छलावा कर रहा है
 
समुद्र हैं जो वो ख़ामोश रहते
वो दरिया है दिखावा कर रहा है
 
जो लिखा था उसे वो मिल चुका है
वो बेमतलब का दावा कर रहा है
 
तरक़्क़ी देख कर उसकी न रोना
काम अपने अलावा कर रहा है
 
बना पाया नहीं जो चाय अच्छी
उसे ही वो क़हवा कर रहा है
 
‘जतन’ वो ही सफल है मान लो ये
जो दूजे पर भी वाह वाह कर रहा है

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