होली में

01-04-2022

होली में

मणि बेन द्विवेदी (अंक: 202, अप्रैल प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

कहीं  ये  बीत न  जाए  बहार  होली में।
गुलाल  रंग  का त्योहार  प्यार  होली में।
 
भुला दो नफ़रतें रंजिश क़रीब आ जाओ।
नहीं मिलता तुम्हारे  बिन  क़रार होली में।
 
चलो जला दें सारी नफ़रतें गिले शिकवे।
चले आओ की  दिल है बेकरार होली में।
 
उठी थी एक बार बस निगाह उलफ़त में।
दुबारा फिर कहाँ  होता है प्यार होली में।
 
है मुख़्तसर बड़ी  ये  दास्तां मुहब्बत की।
न  करना  ऐतबार  तार   तार  होली  में।
 
कोई  पीता  है भॅंग  झूमता नशे में यहाँ।
मुझे  है  इश्क़  का  तेरे  ख़ुमार होली में।
 
वक्त फ़िर  नहीं आता है लौट कर  यारा।
गिरा  दो नफ़रतों की  ये दीवार होली में।
 
है ये  चंद  पल की  ज़िंदगी  गुमां  कैसा।
गले  लगा  कर  मिलो  यादगार होली में।

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