धरती कहे पुकार के

01-04-2022

धरती कहे पुकार के

मणि बेन द्विवेदी (अंक: 202, अप्रैल प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

आओ मिल कर वृक्ष लगायें। 
आँचल धरती का लहरायें। 
ख़ुशियों से धरती महकेगी। 
ताप धरा का स्वतः हरेगी। 
 
आकुल व्याकुल सकल धरा है। 
ताप धरा का बहुत बढ़ा है। 
छेद है ओज़ोन में जब से। 
कण कण धरा जली है तब से। 
 
हे मानव तुम पछताओगे। 
वायु बिना कब रह पाओगे। 
वृक्ष सभी हरियाली देते। 
औषधि दे ख़ुशहाली देते। 
 
वृक्षों से बारिश होती है। 
प्राण वायु इनसे मिलती है। 
वृक्ष सभी के हुए सहारे। 
वृक्षों को अब मत संहारे। 
 
पेड़ सभी को जीवन देते। 
बदले में कुछ भी ना लेते। 
प्रभु का है वरदान अनोखा। 
वृक्ष कभी देते ना धोखा। 

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