बादशाह के लिए
ख़ुदेजा ख़ानखेल ताश के पत्तों का हो
या कोई और
बादशाह की नज़र बेगम पर
बेगम को हथियाना
और रखना ग़ुलाम बनाकर
चाहे हुकुम की बेगम को पसंद नहीं
ग़ुलाम की तरह हर हुकुम मानना
चिड़ी की बेगम को
अच्छा लगता है
खुले आकाश में उड़ना
ईंट की बेगम ने
अपने स्वाभिमान की ख़ातिर
नहीं किया समझौता कभी
लाल पान की बेगम को
केवल प्रेम से जीता जा सकता है
उसके भीतर की करुणा
समस्त मानवता के लिए
बेगम, ग़ुलाम नहीं बन सकती
ग़ुलाम, बेगम नहीं हो सकता
बादशाह के लिए
अब एक ही विकल्प
बेगम को उसके
स्वाभाविक रूप में
स्वीकार कर लेना।