अचार पे विचार

15-07-2024

अचार पे विचार

अनुराग (अंक: 257, जुलाई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

पन्नों को रँगते-रँगते आया एक विचार, 
क्यों न डाला जाए कविताओं का अचार। 
हास्य कविता से बनेगा मीठा अचार, 
ये सोचकर आया एक और विचार।
मीठे से होता है मधुमेह, 
चलता है जीवन भर इसका उपचार। 
क्यों ना डाला जाए प्रेम वाली कविता का अचार, 
उससे बनेगा खट्टा अचार, 
खट्टे में होता विटामिन सी अपार, 
बीमारियों से लड़ने के लिए है इसकी बहुत दरकार। 
ये सोचकर आया एक और विचार, 
क्यों ना हास्य और प्रेम मिलाकर 
बनाया जाए खट्टा-मीठा अचार। 
फिर से आया एक विचार, 
क्यों ना डाला जाए सामाजिक कविता काअचार, 
इससे बनेगा कड़वा अचार, 
इसमें होगी समाज की कड़वी सच्चाइयाँ अपार। 
अचार के होते अनेक प्रकार, 
सब पर होता हमें खाने का अधिकार। 
एक बात पर आप करियेगा विचार, 
प्रेम और समाज मिलाने पे कैसा बनेगा अचार? 

1 टिप्पणियाँ

  • 21 Aug, 2024 08:31 PM

    प्रेम और समाज मिलाने पर कैसा बनेगा अचार? पाठकों से पूछे गये प्रश्न का मेरा उत्तर यह है कि यदि यह मिलन पानीपत की तीसरी लड़ाई के बाद चौथे घमासान युद्ध का कारण न बने तो पानीपत का स्वादिष्ट पचरंगा अचार अवश्य ही बनेगा।

कृपया टिप्पणी दें