रास्ता किस जगह नहीं होता

08-01-2019

रास्ता किस जगह नहीं होता

हस्तीमल 'ह्स्ती'

रास्ता किस जगह नहीं होता
सिर्फ़ हमको पता नहीं होता

बरसों रुत के मिज़ाज सहता है
पेड़ यूं ही बड़ा नहीं होता

छोड़ दें रास्ता ही डर के हम
ये कोई रास्ता नहीं होता

एक नाटक है ज़िन्दगी यारों
कौन बहरुपिया नहीं होता

खौफ़ राहों से किस लिये ‘हस्ती’
हादसा घर में क्या नहीं होता
 

1 टिप्पणियाँ

  • 1 Oct, 2019 04:19 AM

    आपकी ग़ज़लें हमें हमेशा से पसंद हैं। "प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है।" जगजीत सिंह द्वारा गायी गई है। लाजवाब।

कृपया टिप्पणी दें