साहित्य परिषद ने प्रो. सूर्य प्रकाश दीक्षित को अटल साहित्य सम्मान से विभूषित किया
साहित्य परिषद ने प्रो. सूर्य प्रकाश दीक्षित को अटल साहित्य सम्मान से विभूषित किया
बरेली। 23 जून अखिल भारतीय साहित्य परिषद ब्रज प्रांत के तत्वावधान में अटल साहित्य सम्मान समारोह का आयोजन आज चंद्रकांता ऑडीटोरियम में सम्पन्न हुआ। समारोह में लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफ़ेसर डॉ. सूर्य प्रकाश दीक्षित को साहित्य में अविस्मरणीय योगदान के लिए अटल साहित्य सम्मान 2023 से विभूषित गया गया। सम्मान स्वरूप उन्हेंं 5100 रुपए की धनराशि, शाल, स्मृति चिह्न नारियल और सम्मान पत्र देकर अलंकृत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण कुमार, कार्यक्रम अध्यक्ष राष्ट्रधर्म के प्रबंध निदेशक डॉ. पवन पुत्र बादल, विशिष्ट अतिथि राजश्री ग्रुप की चेयरपर्सन डॉ. मोनिका अग्रवाल, डॉ. नवल किशोर गुप्ता, प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. सुरेश बाबू मिश्रा एवं प्रांतीय महामंत्री डॉ. शशि बाला राठी ने उन्हेंं यह सम्मान प्रदान किया।
कवि रोहित राकेश, डॉ. एस पी मौर्य, वी के शर्मा, प्रभाकर मिश्र, प्रवीण कुमार शर्मा, डॉ. अखिलेश कुमार गुप्ता, वी सी दीक्षित, डॉ. सी पी शर्मा राजबाला धैर्य आदि ने मंचासीन अतिथियों का माल्यार्पण एवं बैज लगाकर एवं तुलसी के गमले प्रदान कर स्वागत किया।
इससे पूर्व मोहन चन्द्र पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। उमेश चंद्र गुप्ता ने अभिनन्दन गीत प्रस्तुत किया। प्रांतीय संयुक्त मन्त्री रोहित राकेश ने अटल जी की चिरपरिचित कविता, “बाधाएँ आती हैं आएँ” सुनाई।
प्रांतीय महामंत्री डॉ. शशि बाला राठी ने अतिथि परिचय एवं स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। अटल साहित्य सम्मान के आयोजन के सम्बन्ध में प्रांतीय अध्यक्ष सुरेश बाबू मिश्रा ने कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद ब्रजप्रान्त हर देश के पूर्व प्रधानमन्त्री, प्रखर पत्रकार एवं ख्यातिलब्ध कवि अटल बिहारी बाजपेई की स्मृति में प्रदेश के किसी वरिष्ठ साहित्यकार को अटल साहित्य सम्मान से सम्मानित करता है। इसी शृंखला के अंतर्गत इस बर्ष का अटल साहित्य सम्मान प्रोफ़ेसर दीक्षित जी को प्रदान किया जा रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. अरुण कुमार जी ने कहा कि अटल जी राजनीति के अजातशत्रु थे। उन्होंने साहित्य परिषद द्वारा अटल साहित्य सम्मान का आयोजन करने के लिए परिषद की सराहना की।
समारोह की विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मोनिका अग्रवाल ने कहा कि साहित्य संस्कृति, संस्कारों और राष्ट्रीय चेतना की त्रिवेणी है। साहित्य समाज को रचनात्मक दिशा देने का कार्य करता है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. ऐन के गुप्ता ने कहा अटल जी राजनीतिक शुचिता के प्रतीक थे।
अपने स्वागत से अभिभूत प्रोफ़ेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित ने भारत के गौरवमय अतीत पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पृथ्वीराज चौहान के बाद देश से हिन्दू साम्राज्य का अंत हो गया। इसके बाद देश में हमारी संस्कृति, सभ्यता और धर्म के पराभव का कालखंड प्रारम्भ हुआ। ऐसे में देश के साहित्यकारों ने अत्याचारों से पीड़ित जनता को भक्ति एवं धार्मिक चेतना का सम्वल प्रदान किया और भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण रखा।
कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. पवन पुत्र बादल ने अपने उद्बोधन में अटल विहारी बाजपेई के जीवन के कई प्रसंग साझा किए। उन्होंने कहा कि अटल जी राष्ट्र धर्म मासिक के प्रथम सम्पादक थे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. स्वाति गुप्ता ने किया। सभी का आभार डॉ. वी के शर्मा ने व्यक्त किया।
कार्यक्रम में डॉ. सी पी शर्मा, डॉ. रवि प्रकाश शर्मा, रणधीर प्रसाद गौड़, रोहित राकेश, प्रवीण शर्मा, वी सी दीक्षित, राजबाला धैर्य, मोहन चन्द्र पाण्डेय, उमेश चन्द्र गुप्ता, कमल सक्सेना, दिनेश चन्द्र शर्मा सुरेन्द्र बीनू सिन्हा, प्रकाश चंद्र, निर्भय सक्सेना, रणजीत पाँचाले, वीरेंद्र अटल, प्रदीप श्रीवास्तव, रमेश गौतम, मुकेश सक्सेना, विनोद कुमार गुप्ता सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं बुद्धिजीवी उपस्थित रहे।
वी के शर्मा जनपदीय मंत्री, बरेली।