हिंदी साहित्य में सूफ़ी संतों का योगदान-संगोष्ठी संपन्न—युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच

23 Oct, 2024
हिंदी साहित्य में सूफ़ी संतों का योगदान-संगोष्ठी संपन्न—युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच

हिंदी साहित्य में सूफ़ी संतों का योगदान-संगोष्ठी संपन्न—युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की वर्चुअल सत्रहवीं संगोष्ठी 13 अक्टूबर 2024 (रविवार) 4 बजे से आयोजित की गई। 

डॉ. रमा द्विवेदी (अध्यक्ष, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश शाखा) ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि यह कार्यक्रम प्रखर 
व्यंग्यकार श्री रामकिशोर उपाध्याय (दिल्ली) की अध्यक्षता में संपन्न हुई। नगर की सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुषमा देवी बतौर मुख्य वक्ता एवं वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रखर समीक्षक डॉ. जयप्रकाश तिवारी (लखनऊ) बतौर विशिष्ट अतिथि मंचासीन रहे। 

कार्यक्रम का शुभारंभ संगीतज्ञ सुश्री शुभ्रा महंतो के द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ हुआ। तत्पश्चात्‌ प्रदेश इकाई की अध्यक्षा डॉ. रमा द्विवेदी ने सम्माननीय अतिथियों का परिचय दिया एवं शब्द पुष्पों से अतिथियों का स्वागत किया। 

उन्होंने संस्था का परिचय देते हुए कहा-युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच, दिल्ली (पंजीकृत न्यास) एक वैश्विक संस्था है जो हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार के साथ अन्य सभी भाषाओं के संवर्धन हेतु कार्य करती है। वरिष्ठ साहित्यकारों के विशिष्ठ साहित्यिक योगदान हेतु उन्हें हर वर्ष पुरस्कृत करती है। युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना, प्रोत्साहित करना एवं उन्हें सम्मानित करना भी संस्था का एक विशेष उद्देश्य है। 

विशिष्ट अतिथि डॉ. जयप्रकाश तिवारी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा, “‘साधक और साध्य’, ‘बंदे और ख़ुदा’ के बीच ‘निर्मल प्रेम तत्त्व’ को सूफ़ियों ने इतनी तल्लीनता से हृदयंगम होकर सींचा है कि हिन्दी साहित्य की निर्गुण धारा में ‘प्रेमाख्यान काव्यधारा’ नाम से एक नई नवेली, दुलारी, प्यारी परंपरा ही चल पड़ी, जिसे ‘संत साहित्य’ के नाम से सूफ़ी संतों, मुस्लिम संतों और भारतीय संतों ने मिल-जुल कर गाया। जुगलबंदी, संगति ऐसी कि प्रेम और प्रेम में विरह भक्ति, प्रेमी के लिए तड़प, प्रणय और सायुज्य की ललक भक्ति का एक निर्मल मानक बनकर ‘भक्तिकाल’ को हिंदी साहित्य का मुकुटमणि, स्वर्ण काल बना गया। 

“निष्कर्ष: हम कह सकते हैं कि भक्तिकाल के विकास और उसे हिंदी साहित्य का ‘स्वर्णकाल’ बनाने में सूफियों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।”

मुख्य वक्ता डॉ. सुषमा देवी ने अपने तथ्यपरक एवं शोधपूर्ण वक्तव्य में कहा, “हिंदी साहित्य को स्वर्ण युग बनाने में सूफ़ी संतों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रबंध काव्य शैली, लोक जीवन की उपस्थिति, लोक भाषा के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना के विकास में सूफ़ी संतों ने अप्रतिम योगदान दिया। भारतीय सांस्कृतिक समन्वय की विराट चेष्टा करते हुए विविधता में एकता की दृष्टि को सूफ़ी संतों ने पुष्ट किया।”

संगोष्ठी के अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा, “सूफ़ी कवियों ने वेदांत, ज्योतिष, संगीत, काव्य शास्त्र, तत्त्व ज्ञान, शरीर, जीवात्मा और मनोवृत्तियों को लेकर प्रेम-कहानियों को काव्य रूप में हिन्दू कवियों की तरह ही गूँथा है। इन सभी सूफ़ी संत कवियों ने पाठकों के सभी वर्गों की रुचि का ध्यान रखते हुए प्रेम, शास्त्र-ज्ञान और वैराग्य तीनों का समन्वय करके हिंदी साहित्य/काव्य को समृद्ध ही नहीं किया बल्कि हिंदी-मुस्लिम समाज के मध्य सौहार्द स्थापित करने का एक श्लाघनीय प्रयास भी किया है। सभी सूफ़ी कवि हिंदी साहित्य में अपने अमूल्य योगदान हेतु हमेशा याद रखे जायेंगे।”

इस परिचर्चा में डॉ. राशि सिन्हा ने अपने महत्त्वपूर्ण विचार प्रस्तुत करके सहभागिता निभाई और दर्शन सिंह एवं बिनोद गिरि अनोखा ने गुरु वाणी पर बात रखी। 

तत्पश्चात्‌ दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। उपस्थित रचनाकारों ने विविध विषयों पर सृजित सुंदर-सरस रचनाओं का काव्य पाठ करके वातावरण को ख़ुशनुमा बना दिया। सुश्री विनीता शर्मा (उपाध्यक्ष), शिल्पी भटनागर, दर्शन सिंह, डॉ. सुषमा देवी, डॉ. राशि सिन्हा, सरिता दीक्षित, डॉ. रमा द्विवेदी, डॉ. जयप्रकाश तिवारी (लखनऊ), प्रियंका पाण्डे, किरण सिंह, इंदु सिंह, बिनोद गिरि अनोखा, शुभ्रा महंतो, राजेश कुमार सिंह ‘श्रेयस‘ (लखनऊ), शोभा देशपाण्डे, उषा शर्मा, डॉ. किरण कुमारी (रांची) काव्यपाठ किया। श्री रामकिशोर उपाध्याय (दिल्ली) ने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि आज की संगोष्ठी बहुत सफल और सार्थक रही। सभी रचनाकारों की विविध रससम्पृक्त रचनाओं गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, कविता, क्षणिका एवं भक्ति गीत की प्रस्तुति ने सुन्दर समां-सा बाँध दिया। उन्होंने सभी को बधाई और शुभकामनाएँ दीं और अध्यक्षीय काव्य पाठ किया। 
तृप्ति मिश्रा, रमाकांत श्रीवास, पूनम झा (दिल्ली), भगवती अग्रवाल, डॉ. सुरभि दत्त (संयुक्त सचिव) डॉ. ममता श्रीवास्तव ‘सरूनाथ’ (दिल्ली) रेखा अग्रवाल ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज की। 

संगोष्ठी का संचालन सुश्री शिल्पी भटनागर (संगोष्ठी संयोजिका) ने किया और सुश्री किरण सिंह के आभार प्रदर्शन से कार्यक्रम समाप्त हुआ। 

प्रेषक डॉ. रमा द्विवेदी, अध्यक्ष /युवा उत्कर्ष 
फोन: 9849021742